सिकन्दराराऊ। इस वार दीपोत्सव को लेकर लोग असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं कुछ लोग 31 अक्टूबर को तो कुछ 1 नबम्बर में लक्ष्मी पूजन की बात कह रहे हैं इसको लेकर धर्माचार्य भगवताचार्य भी अपने अपने सुझाव दे रहे हैं फिर भी लोग एक दूसरे से पूछते नजर आ रहे हैं कि दीपावली का त्योहार किस दिन मनाना षुभ है। इसके बारे में शीलेन्द्र कृष्ण दीक्षित (भगवताचार्य ) से जानकारी ली गयी तो उन्होंने कहा कि शास्त्र विधि से दीपावली महापर्व 1 नवम्बर 2024 शुक्रवार को ही मनाना चाहिये। इसके लिये उन्होने कुछ प्रमाण देते हुये कहा कि दीपावली पर्व आनन्द उत्सव का पर्व है बहस का विषय नही है इसलिये अपने निर्णय को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर सही और गलत का निर्णय करके ही दीपावली का उत्सव मनाये।
उन्होने बताया कि निर्णय सागर पंचाग नीमच में दीपावली (लक्ष्मी पूजन ) 1 नवम्बर 2024 शुक्रवार को लिखी हुई है और हमारे यहाँ निर्णय सागर पंचाग का प्रचलन प्राचीन समय से ही होता हुआ आ रहा है। हम सब निर्णय सागर पंचाग से सभी गणना करके ही जन समुदाय को बताते है इसी निर्णय सागर पंचाग के अनुसार ही कुण्डली बनाते है तथा मिलाते है। हम सभी के पूर्वज भी इसी पंचाग को मान्यता देते थे हम भी इसी पंचाग को मान्यता देते है तो निर्णय सागर पंचाग में जो निर्णय दिये है वो गलत कैसे हो सकते है।
बस एक बात और दीपावली पर्व आनन्द उत्सव का पर्व है बहस का विषय नही है इसलिये अपने निर्णय को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर सही और गलत का निर्णय करके ही दीपावली का उत्सव मनाये।
निर्णय आप सभी का है लेकिन पुनः कहता हूँ निर्णय सागर पंचाग में दीपावली पर्व 1 नवम्बर 2024 शुक्रवार को दर्शाया है दीपावली पर्व में अर्धरात्रि व्यापनी अमावस्या हो ये आवश्यक नही है लेकिन प्रदोष व्यापनी होनी चाहिये।
निर्णय सिन्धु और धर्म सिन्धु के अनुसार यदि दो दिन अमावस्या हो तो सबसे पहले हम अमावस्या का निर्णय जाने कुछ लोग कहते है दीपावली निर्णय और अमावस्या का निर्णय अलग है जबकि दीपावली भी तो कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है तो पहले हम अमावस्या का निर्णय जाने —
निर्णय सिन्धु के अनुसार —
संवत 2081 सन 2024 शुभ दीपावली निर्णय सबसे पहले हम अमावस्या का निर्णय जाने कुछ लोग कहते है दीपावली निर्णय और अमावस्या का निर्णय अलग है जबकि दीपावली भी तो कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है तो पहले हम अमावस्या का निर्णय जाने —
निर्णय सिन्धु के अनुसार —
पूर्णिमा और अमावस्या सावित्री व्रत को छोड़ कर परा मतलब दूसरे दिन की ग्रहण करनी चाहिये।
सावित्री व्रत को छोड़कर चतुर्दशी से विद्व (युक्त ) अमावस्या तथा पूर्णिमा कभी भी नही करनी चाहिये। (प्रष्ठ संख्या 89) कार्तिक अमावस्या में प्रातः काल अंभ्यग स्नान करने से अलक्ष्मी की निवृति होती है। (प्रष्ठ 404)
स्वाति स्थिते रवाविन्दुर्यदि स्वाति गतो भवेत।
पञ्चत्व गुदक स्नायी कृताभ्यङ्गविधि र्नर।।
नीराजितो महालक्ष्मी मर्चयन श्रिय मश्नुते।। प्रष्ठ संख्या 404,405
स्वाति नक्षत्र में स्थित सूर्य में यदि स्वाति नक्षत्र में चन्द्रमा आ जाये तो पञ्चत्वचा के जल से मनुष्य अभ्यंग विधि कर स्नान करे और महालक्ष्मी का नीरजन करे तो लक्ष्मी को प्राप्त होता है।
दण्डैकरजनोयोगे दर्शः स्यात्तु परेऽहनि ।
तदा विहाय पूर्वेद्युः परेऽह्नि सुखरात्रिके ।। प्रष्ठ संख्या 406
एक दण्ड रात्रि के योग में अमावस्या यदि दूसरे दिन हो तो पूर्व दिन को त्याग कर दूसरे दिन सुख पूर्वक ग्रहण करे।
प्रदोष काल को ही कर्म काल कहा है। प्रष्ठ संख्या 406
अमावस्या दो दिन प्रदोष काल में हो तो परा अर्थात दूसरे दिन की ग्रहण करनी चाहिये पहले दिन की नही
निर्णय सिन्धु प्रष्ठ संख्या 406
धर्म सिन्धु के अनुसार
धर्म सिन्धु प्रदोषेदीपदानलक्ष्मीपूजनादिविहितं तत्रसूर्योदयंव्याप्यास्तोत्तरंघटिकाधिकरात्रिव्यापिनिदर्शसतिनसंदेहः।धर्म सिन्धु प्रष्ठ संख्या 157 कार्तिक अमावस्या को प्रातः काल अभ्यंग स्नान करना,प्रदोष समय दीपदान करना और लक्ष्मी पूजन करना चाहिये।
अमावस्या सूर्योदय में व्याप्त होके अस्त काल के उपरान्त एक घड़ी भी यदि हो तो ग्रहण कर लेनी चाहिये। सन्देह नही करना चाहिये कार्तिक अमावस्या को प्रातः काल अभ्यंग और देव पूजा आदि करके अपहरण काल में पार्वण श्राद्ध करना प्रदोष समय में दीपदान और लक्ष्मी पूजन करना चाहिये। पर दिन में ही अथवा दोनों दिनों में अमावस्या यदि प्रदोष व्यापनी हो तो पर विद्वा ( दूसरे दिन ) की ही लेनी चाहिये। धर्म सिन्धु प्रष्ठ संख्या 157
यदि दो दिन अमावस्या हो तो दूसरे दिन अमावस्या तीन प्रहर से अधिक हो ऐसी अमावस्या में प्रतिपदा की वृद्धि हो तब भी लक्ष्मी पूजन पर दिन ही करना चाहिये अर्थात प्रतिपदा से युक्त अमावस्या में ही करना चाहिये। पर दिन में साढ़े तीन प्रहर से अधिक अमावस्या होने से पर विद्वा ( दूसरे दिन ) ही अमावस्या लेनी चाहिये। धर्म सिन्धु पृष्ठ संख्या 158
चतुर्दशी आदि दीपावली अर्थात दीपावली आदि संज्ञक तीन दिनों में जिस दिन स्वाति नक्षत्र का योग हो वही दिन अति श्रेष्ठ होता है। धर्म सिन्धु पृष्ठ संख्या 158
कुछ विद्वान कहते है दीपावली अर्धरात्रि व्यापनी होनी चाहिये तो ये चर्चा इसी वर्ष क्यों? क्योंकि पिछले वर्षो के पंचाग देख तो कई वर्ष ऐसे है जिसमे अर्धरात्रि व्यापनी अमावस्या मिली ही नही है और विशेष लक्ष्मी पूजन जो अर्द्धरात्रि सिंह लग्न में होता है वो प्रतिपदा में हुआ है तब कोई विवाद नही हुआ है
अभी कुछ विद्वान कह रहे है कि अहोई अष्टमी से नवे दिन दीपावली नही मनाई जाती है तो पिछले वर्षो का अध्ययन करे तो न जाने कितनी बार अहोई अष्टमी से सातवे दिन तो कभी नवे दिन दीपावली पर्व मनाया गया है।
1— संवत 2077 में अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवम्बर 2020 रविवार को हुआ है जबकि दीपावली (लक्ष्मी पूजन ) 14 नवम्बर 2020 शनिवार को मनाई गयी। सात दिन बाद ही दीपावली मनाई गयी।
2— संवत 2076 में अहोई अष्टमी व्रत 21 अक्टूबर 2019 सोमवार को हुआ है जबकि दीपावली (लक्ष्मी पूजन ) 27 अक्टूबर 2019 रविवार को हुआ है सात दिन बाद ही दीपावली उत्सव हुआ है।
3 — संवत 2075 में दीपावली (लक्ष्मी पूजन ) 7 नवम्बर 2018 को मनाई गयी जबकि अमावस्या रात्रि 9:31पर समाप्त हो गयी। जबकि विशेष लक्ष्मी पूजन कनक धारा स्त्रोत पाठ स्थिर संज्ञक सिंह लग्न मुहूर्त मध्य रात्रि 12:46 से 3:02 रहा है अर्थात प्रतिपदा में लक्ष्मी पूजन (सिंह लग्न ) 7 और 8 की मध्य रात्रि।
4 — संवत 2073 अहोई अष्टमी व्रत 22 अक्टूबर 2016 शनिवार को हुआ है जबकि दीपावली ( लक्ष्मी पूजन ) 30 अक्टूबर 2016 रविवार को मनाया गया है अहोई अष्टमी से नवे दिन दीपावली पर्व मनाया गया है । अमावस्या रात्रि 11:07 पर ही समाप्त हो गयी जबकि सिंह लग्न पूजन रात्रि 1:21 से 3:38 रहा है।
5 — संवत 2072 में अहोई अष्टमी व्रत 3 नवम्बर 2015 मंगलवार को हुआ है जबकि दीपावली ( लक्ष्मी पूजन ) का पर्व 11 नवम्बर 2015 बुधवार को मनाया गया है अहोई अष्टमी से नवे दिन दीपावली मनाई गयी है अमावस्या रात्रि 11:16 पर समाप्त हो गयी जबकि सिंह लग्न पूजन रात्रि 12:33 से 2:50 रहा है
6 — संवत 2071 में 15 अक्टूबर 2014 बुधवार को अहोई अहोई अष्टमी व्रत हुआ जबकि 23 अक्टूबर 2014 गुरुवार को नवे दिन दीपावली मनाई गयी
7— संवत 2070 में दीपावली 3 नवम्बर 2013 रविवार की हुई है अमावस्या सायं 6:19 पर समाप्त हो गयी और सूर्यास्त सायं 5:51 पर हुये कोई विवाद नही हुआ जबकि एक दिन पहले 2 नवम्बर 2013को अमावस्या अर्द्धरात्रि व्यापनी थी लेकिन फिर भी दीपावली 3 नवम्बर 2013 को मनाई गयी।
नीमच पंचाग के अनुसार
31/10/2024 गुरुवार को चतुर्दशी दोपहर 3:53 तक है इसके बाद अमावस्या प्रारम्भ हो गयी है
1/11/2024 शुक्रवार को सायं 6:17 तक अमावस्या है और सूर्य अस्त 5:52 पर है
राजधानी पंचाग के अनुसार
31/10/2024 गुरुवार को चतुर्दशी दोपहर 3:52 तक है इसके बाद अमावस्या प्रारम्भ हो गयी है
1/11/2024 शुक्रवार को सायं 6:16 तक अमावस्या है और सूर्य अस्त सायं 5:33 पर है
अतः दोनों पंचाग के अनुसार और शास्त्र विधि से दीपावली महापर्व 1 नवम्बर 2024 शुक्रवार को ही मनाना चाहिये।