E-waste के फायदे जान कर चौंक जाएंगे आप, कमा सकते हैं ढ़ेर सारे पैसे पढ़िए रिपोर्ट

आज दुनियाभर के देशों पर कार्बन एमिशन ज़ीरो करने का दबाव है। तो वहीं भारत ने भी 2070 तक ज़ीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य रखा है।
इस दिशा में इंडिया ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2 जून को 9 री-साइक्लिंग उद्योगों व स्टार्टअप को स्वदेशी तकनीक सौंपी है… इससे मिश्रित प्रकार की लीथियम आयन बैटरियों को संसाधित कर 95 प्रतिशत से अधिक लीथियम, कोबाल्ट, मैंगनीज और निकेल लगभग 98 प्रतिशत शुद्धता के साथ दोबारा प्राप्त किया जा सकता है…

ई-कचरा उत्पादक देशों भारत का नंबर

ई-कचरा उत्पादक देशों में भारत- अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद 5वें नंबर पर है। ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सालाना लगभग 20 लाख टन ई-कचरा पैदा करता है.. लेकिन 2016-17 में इंडिया ई-कबाड़ का सिर्फ 0.036 मीट्रिक टन ही निपटान कर सका..

अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, एक मीट्रिक टन खराब मोबाइल से 300 ग्राम सोना निकल सकता है… जबकि खनन में सोने के अयस्क से प्रति टन 2 या 3 ग्राम सोना ही मिलता है… क्या आप भी ख़राब कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, लीथियम बैटरी आदि को कबाड़ समझ कर फेंक देते हैं? जो वास्तव में दुर्लभ खनिज भंडार हैं… ई-कचरे को संसाधित कर उससे लीथियम, कोबाल्ट, तांबा, एल्युमिनियम, सोना, और चांदी जैसी महंगी धातुएं न केवल निकाली जा रही हैं, बल्कि इनसे प्राप्त होने वाले विभिन्न खनिजों का भी दोबारा प्रयोग हो रहा है।

एक समय सिर्फ सोना, चांदी, एल्युमिनियम, तांबा ही महत्वपूर्ण धातुएं मानी जाती थीं। अब ये दुर्लभ पृथ्वी तत्व और बैटरी खनिज तरक्की के नए ईंधन हैं।
हाइड्रोजन कार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लगे सेमीकंडक्टर, लीथियम आयन बैटरी, सोलर प्लेट, विंड टर्बाइन सहित लगभग हर उपकरण ऊर्जा खनिज पर टिका है। नए जमाने के ऊर्जा खनिज दो तरह के हैं। पहले प्रकार में बैटरी खनिज, जिसमें लीथियम, कोबाल्ट, निकेल और ग्रेफाइट तो वहीं दूसरे प्रकार में 17 तरह के दुर्लभ तत्व शामिल हैं।

ऐसे में ई-कचरे की रिसाइकिलिंग पर्यावरण के साथ मानवीय स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होगा। इसलिए अर्बन माइनिंग को बढ़ावा देने वाली स्वदेशी तकनीक को अपनाइए और पर्यावरण को सुरक्षित बनाइए।