रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही बदलते घटनाक्रमों के बीच भारत में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक 4 मई से शुरू हो रही है. दो दिन चलने वाली इस बैठक में भारत(India), चीन(China), कजाखिस्तान(Kazakhstan), किर्गिस्तान(Kyrgyzstan), रूस(Russia), पाकिस्तान(Pakistan), तजाखिस्तान(Tajikistan) और उज्बेकिस्तान (Uzbekistan)हिस्सा लेंगे।
रूस का रुख भारत के लिए कठिन परीक्षा
एससीओ की बैठक में रूस ने जिस तरह का रुख अभी तक अपनाया है भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है साथ ही ये कठिन कूटनीतिक परीक्षा भी है। एक ओर उसने भारत की धरती से तालिबान को छेड़ा दिया तो दूसरी ओर चीन पर उसका रुख पूरी तरह से नरम और बचाव करने वाला है। रूस के रक्षा मंत्री जनरल शर्गेई शोइगु ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में अमेरिका को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साथ ही उन्होंने कहा कि क्वॉड (QUAD) और ऑकस (AUKUS) जैसे समूह सिर्फ चीन को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं।
रूस के रुख से भारत क्या समझे
रूस की ओर आया क्वाड को लेकर आया भारत के लिए परेशानी का सबब है। भारत ने हमेशा स्वतंत्र और अपने हित वाली विदेश नीति की बात करता आया है। यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने पश्चिमी देशों और अमेरिका के दबाव को दरकिनार कर दिया था। दूसरी ओर रूस को भी कई बार नसीहत दी है। लेकिन रूस ने जिस तरह से क्वाड पर निशाना साधा है वो भारत के लिए रूस के साथ संबंधों पर एक बार फिर से समीक्षा करने के लिए मजबूर कर दिया है।ये चुनौती ऐसे समय आई है जब चीन के साथ सीमा पर तनाव चरम पर है। लेकिन रूस अभी तक इस मुद्दे पर चीन को एक बार भी नहीं टोका है।
तालिबान ने कहा कि रूस को
तालिबान ने कहा कि रूस की सरकार को समझना चाहिए कि बीते दो सालों में अफगानिस्तान की ओर से इलाके या विश्व, किसी के लिए खतरा पैदा नहीं हुआ है. तालिबान की इस्लामिक सरकार यहां पर खुद ही आईएसआईएस के लड़ाकों को पूरी क्षमता के साथ हराने में कामयाब रही है।