रविवार, सितम्बर 8, 2024
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पुरदिलनगर के कब आयेंगे अच्छे दिन !

 

पलायन करने को मजबूर हुये मूँगा मोती कारीगर व व्यापारी

अन्य व्यवसाय की तलास में कस्बा छोड़ रहे हैं यहाँ के बाषिन्दे

मूँगा मोती की जगह चूड़ी बनाने लगे हैं कुछ कारीगर

उपेक्षा के चलते काँच के मूँगा मोती उद्योग का बुरा हाल

सिकन्दराराऊ (ब्रजांचल ब्यूरो): 

जी हाँ अच्छे दिनों के इन्तजार में पलकें बिछाये बैठे पुरदिलनगर के लोगों की आँखें अब पथराने लगी हैं वर्तमान व निवर्तमान सरकारों द्वारा इस ओर ध्यान न दिये जाने से यहाँ का काँच के मूँगा मोती उद्योग लगभग खत्म होने के कगार पर पहुँच चुका है। यहाँ के बड़े व्यवसाइयों का कहना है कि जहाँ पूर्व में हमारे द्वारा बनायें गये काँच के मूँगा मोती की माँग सारे संसार में थी वहीं चाइना ने उस माँग को खत्म करा दिया। डैªगन को भारतीय बाजार में घुसपैठ का अधिकार दिये जाने का असर हिन्दुस्तान के छोटे-छोटे कस्बों में दिखाई देने लगा है। देष विदेष के लोगों को अपनी ओर आकर्शित करने वाली सिकन्द्राराऊ तहसील की कंचनगरी (पुरदिलनगर) के लोग आज अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिये जीजान से जुटे हैं अनेक लोगों ने अपने अपने व्यवसाय बदलकर कस्वा छोड़ अन्य जगह रोजगार तलाश लिये हैं तो कुछ तैयारी में जुटे हैं। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गाँधी की सुपुत्री प्रियंका गाँधी भी पुरदिलनगर में काँच के मूँगा मोती निर्माण होते स्वयं कई वार देखने आयी और यहाँ की समस्याओं से रूबरू भी हुई। पर इस उद्योग नगरी की उपेक्षा कांग्रेस के सत्ता में रहते भी खत्म न हो सकी। वर्तमान सरकार ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

हाथरस जनपद के इस छोटे से कस्बे को काँच के मूँगा मोती निर्माण के लिये देश विदेश में लोग पहचानते हैं। इस काँच के मूँगा मोती उद्योग को कुछ वर्षों से डैªगन (चीन) की नजर लग गयी और यहाँ के बने माल की माँग दिनप्रतिदिन कम होती जा रही है। सरकार द्वारा यहाँ के लोगों को कोई भी तकनीकी सहायता उपलब्ध नहीं करना यहाँ के लिये अभिशाप बन गया तथा प्रतिभायें यहीं दफन होकर रह गयी। इसी का लाभ उठाकर चीन ने यहाँ के बने मूँगा मोती की नकल कर यहाँ की लागत से कम लागत में मूँगा मोती बना बाजार में कब्जा करना प्रारम्भ कर दिया है जिससे यहाँ के बने काँच के मूँगा मोती की माँग दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है।

पुरदिलनगर में निर्मित काँच के मूँगा मोती की क्बालिटी अत्यन्त उच्च कोटि की होने के बाबजूद इसकी माँग कम होना चिंता का विषय है। इस उद्योग को बचाये रखने के लिये सरकार का इस ओर ध्यान दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है ताकि यहाँ के लोगों को बेरोजगार होने से बचाने के साथ ही इस कार्य को जिन्दा रखा जा सके।

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