सावधानी पूर्वक सोशल डिस्टैंस का ध्यान न रखा तो कोरोना के संक्रमण का खतरा और बढ़ जायेगा
सिकन्दराराऊ (ब्रजांचल ब्यूरो) ।
जिस प्रकार से शराब की दुकानें खुलने के बाद हर जगह से सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उडती दिखीं उससे आम लोगों में एक चिंता दिखी। इसी को लेकर विभिन्न क्षेत्रों से जुडे लोगों से बात कर उनके बिचार जानने का प्रयास किया। कुछ लोग सरकार के इस निर्णय को गलत मान रहे के तो कुछ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आवश्यक भी कह रहे थे कुल मिलाकर लोगों को कहना था कि शराब की दुकानों को खोलने के निर्णय से कोरोना के संक्रमण का खतरा और बढ़ जायेगा यदि सावधानी पूर्वक सोशल डिस्टैंस का ध्यान न रखा गया।
व्यापारी नेता संजीव महाजन की नजर में शराब की दुकानें खोलना बिल्कुल गलत है नशेड़ी आदमी ना अपनी सुरक्षा के बारे में सोच सकता है ना दूसरों की ऐसे लोग ऐसे लोग संभवतः कोरोना संक्रमण को बढ़ावा दे सकते हैं इसलिए जनहित में शराब की बिकी बंद होनी चाहिए ..
समाजसेवी कृष्ण कांत कौशिक का कहना है
प्रदेश सरकार द्वारा शराब की दुकानें खोलकर एक तरह से अदूरदर्शिता का ही परिचय दिया है। एक ओर जहाँ मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारे एवं चर्च बंद है वहीं शराब की दुकानें खुलने से जिस तरह दुकानों पर शराबियों की भीड़ उमड़ रही है न सोशल डिस्टेसिंग, न ग्लव्स न ही मास्क पहना जा रहा है। पुलिस को लाठी चार्ज तक करना पड़ रहा है। यद्यपि अर्थव्यवस्था आवश्यक है लेकिन लोगों की जान पर खेलकर उचित नहीं। जिन लोगों ने ईमानदारी से लॉक डाउन का पालन किया वो भयभीत हैं। इस तरह से तो लॉकडाउन का महत्व ही खतम हो जाता है। भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
कपड़ा व्यापारी युवा नेता सूरज वाष्र्णेय कहते हैं
शराब की दुकानों पर भीड़ देखकर ऐसा लग रहा है कि सोशल डिस्टेसिंग का पालन कोई नही कर रहा है। कहीं कहीं तो शराब की दुकानों पर शराब लेने के लिए आपस मंे मारपीट की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रही है, जो कि जनहित मे नहीं है। सोशल डिस्टेसिंग नहीं होने पर संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाने की आशंका है। कोराना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को शराब की दुकानें खोलने की अनुमति वापस ले लेनी चाहिए।
युवा समाजसेवी रानू पंडित का कहना है
जैसा कि आज देखने को मिला कि सुबह से शराब खरीदने के लिए लोग किस तरह दुकान के सामने लाइन लगाकर खड़े थे , जिसमें से कुछ तो शराब पीने के बाद नशे में लिप्त करने के उपरांत संयम भी खो चूकेंगे जो तरह तरह की असामाजिक हारकत भी करेंगें। जिससे कि पुलिस को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा । शराब पीने के उपरांत झगड़ों की संभावनाएं अत्यधिक होंगीं।
पत्रकार सागर पंडित मानते हैं
शराब की दुकानें खोलने से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। कोरोना महामारी देश से फिलहाल जाने वाली नहीं है और देश में हमेशा के लिए लॉकडाउन नहीं किया जा सकता। शराब की दुकानें खोलने का निर्णय सही लिया गया है हालांकि यह प्रशासन पर निर्भर करता है कि वो दुकानों के बाहर फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करा पाता है या नहीं! धीरे धीरे पूरे देश को खोलना पड़ेगा, कई लोगों की आदत बन चुकी है शराब जो कि उनका मानसिक तनाव कम करने में सहायक होती है। लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है जिससे वो दुकानों पर मास्क पहन कर जाएं और शारीरिक दूरी का पालन करें इसके लिए नियम भी बनाएं जा सकते हैं जैसे शराब सिर्फ उनको मिलेगी जो मास्क लगाकर आएंगे और शारीरिक दूरी का पालन करेंगे।
अधिवक्ता संजीव उपाध्याय की राय में
दुकानें खुलनी चाहिए लेकिन सरकार को इस तरह से व्यवस्था करनी चाहिए कि भीड़ भाड़ न हो और सरकार को राजस्व की हानि भी न हो।
युवा समाज सेवी मयंक (माही) पंडित मानते हैं
सरकार ने लॉक डाउन में अब तक का सबसे बड़ा गलत फैसला लिया है शराब के ठेके खोलकर।
इलैक्ट्रोनिक्स व्यापारी तस्लीम अहमद वारसी मानते हैं
सरकार द्वारा शराब की बिक्री चालू करने से शराबियों के घरों मैं पारिवारिक झगड़ा फिर शुरू हो जायेगा जो कि लाॅकडाउन के कारण बन्द था। झगड़े का खामियाजा पड़ोसियों को भी झेलना पड़ता है। इसी कारण शराब की बिक्री का आदेश केन्द्र और प्रदेश सरकार को तुरंत बापस लेना चाहिए ।
कवि अवशेष विमल मानते हैं
जिस तरह से शराब की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही, एक के ऊपर एक चढ़कर शराब खरीद रहे हैं, निसंदेह कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। यदि इस बिक्री में सोशल डिस्टेंस का कड़ाई से पालन हो तो संक्रमण की सम्भावना नहीं रहेगी।
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सम्पादक – पवन पंडित