मथुरा, 08 अक्टूबर (वेबवार्ता)।
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में यमुना किनारे स्थित विश्व प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर में दशहरे का त्योहार सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। पुष्टिमार्गीय मंदिर में दशहरे पर प्रातः ठाकुर जी के श्रृंगार दर्शन में उन्हें धनुष, बाण, तलवार, ढाल आदि सभी अस्त्र-शस्त्र धारण कराए गए। सायंकालीन बेला में राजाधिराज द्वारा अश्व पूजन किया गया। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ठाकुर द्वारकाधीश जी कलयुग रूपी रावण का वध करने जाते हैं। इस अवसर पर सुबह और शाम भक्तों ने अपने आराध्य के इस रूप में दर्शन किए। दशहरे पर शस्त्रों की मौजूदगी में द्वारकाधीश के दर्शन कर भक्त आनंदित हो गए और राजाधिराज की जय-जयकार गूंजती रही। मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया, पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय की मान्यताओं के अनुसार चूंकि हर त्योहार उदयात (जिस तिथि में सूर्योदय होता है) तिथि में ही मनाया जाता है तथा त्रेतायुग में भगवान राम के हाथों रावण के मारे जाने की घटना के समय श्रवण नक्षत्र था इसलिए श्रवण नक्षत्र होने पर ही भगवान के हाथों में धनुष-बाण धारण कराए जा सकते थे। उन्होंने कहा, इसलिए एक दिन पूर्व ही ऐसा महूर्त बनने पर यहां दशहरे का त्योहार मनाया गया। इसका निर्धारण मंदिर के सेवायत गोस्वामी ब्रजेश कुमार महाराज द्वारा किया जाता है। जिसके अनुसार मथुरा में ही नहीं, देशभर में ठाकुरजी की बैठकों (पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय के मंदिरों) नाथद्वारा, कांकरोली, कामवन आदि स्थानों पर दशहरे का पर्व एक दिन पूर्व ही मनाया गया है।