19 मई को 2000 के नोट चलन में बंद होने के बाद सभी दल के नेता के बयान समाने आ रहे है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने 2000 के नोटों को प्रचलन से वापस लेने के आरबीआई के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 2000 के नोट बंद करना एक अच्छा संकेत है। नायडू का बयान ऐसे समय आया है जब नोटबंदी को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमलावर हैं।
आंध्र प्रदेश में शुक्रवार (20 मई) को एक जनसभा को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा, “2000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय निश्चित रूप से एक अच्छा संकेत है। मैंने बहुत पहले डिजिटल करेंसी पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है और नोटों को रद्द करने से निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर रोक लगे।
चुनाव में था अहम रोल
उन्होंने आगे कहा, राजनेता वोटर्स को पैसे देकर चुनाव जीतने की कोशिश करते हैं. 2000 के नोट इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। अब, इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
आरबीआई ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि उसने 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को संचलन से वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, अभी वे वैध मुद्रा बने रहेंगे।
गहलोत बोले- तो लाया ही क्यों था ?
कांग्रेस ने नोट बंद करने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अगर दो हजार के नोट को बंद ही करना था तो इसे लाया ही क्यों गया था। अगर दो हजार का नोट पहले से चलन में नहीं था तो इसपर भी जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को यह भी बताना चाहिए की दो हजार के नोट मार्केट से कैसे गायब हो गए।
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि ऐसे फैसलों से अर्थव्यवस्था मजबूत होने की बजाए कमजोर होती है। कांग्रेस के ही नेता गौरव बल्लभ ने कहा कि बीजेपी बिना सोचे समझे दो हजार के नोट को बाजार में लायी थी अब उससे पलटना पड़ रहा है।