आज यानी 17 जुलाई को स्नानदान का पर्व है और सोमवार की अमावास्या भी है। वैसे तो अमावास्या का अपना अलग महत्व है, ऐसा माना जाता है कि सोमवती अमावास्य व्यक्ति के लिए पुण्यदायी होता है और उस पर सावन में सोमवती अमावास्य पड़ने का योग अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण योग 19 साल बाद आया है।
आपको बता दें कि हिन्दू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, सोमवती अमास्या के दिन जलस्नान करने मात्र से व्यक्ति को अश्वमेघ के समान फल प्राप्त होता है। यदि आज के दिन कोई व्यक्ति अपने पितरों की कामना करते हुए किसी भी प्रकार से 108 परिक्रमा कर ले, तो यह निश्चत समझिए कि व्यक्ति का कितना भी कठिनाईपूर्ण जीवन सुधर जाता है, और इसके साथ व्यक्ति की मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है।
सावन में सोमवती अमावास्या का यह महत्वपूर्ण योग करीब 19 साल बाद बन रहा है। जिसके कारण गंगा स्नान करने के लिए श्रध्दालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। श्रध्दालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य और मोक्ष प्राप्ती हेतु कामना कर रहें हैं। गंगा स्नान करने के लिए यहां पर दूर-दूर से श्रध्दालु आए हैं।
सोमवती अमावास्या के स्नान पर्व का विशेष महत्व माना जाता है, मान्यताओं के अनुसार आज के दिन मां गंगा में स्नान करने पर सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, इसके साथ मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है, और मोक्ष की प्राप्ती होती है। सोमवती अमास्या के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ती होती है।
शास्त्र का कहना है कि वैसे तो सभी अमावास्या पर गंगा स्नान का महत्व है, लेकिन सोमयुता अर्थात सोमवारी और भोमयुता अर्थात भौमवती अमावास्या विशेष पुण्यदायी होती है। आप इसके पुण्य का पता इसी बात से लगा सकते हैं इस सोमवती अमावास्या की प्रतीक्षा में स्वयं भीष्म पितामाह ने अपनी शरशैया पर पड़े रहते हुए इंतजार किया था।
गंगा आदि पवित्र नदियों में जैसे हरिद्वार तीर्थों में आज के दिन स्नान करना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. आज के दिन ब्रह्मकुंड हर की पैड़ी स्नान करके व्यक्ति अपने जीवन को कल्पकल्पान्तर तक पाप नष्ट करके व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ती कर लेता है, आज जो दान करेंगे वो पुण्य करेंगे वो अक्षय है। सोमवती अमावास्या व्यक्ति के लिए पुण्यदायी और जीवनदायी है।