शनिवार, दिसम्बर 21, 2024
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श्री मनकामेश्वर मंदिर मंदिर के सेवायत गौरांग प्रभू जी के निर्देशन में श्री बांके बिहारी लाल की चतुर्थ परिक्रमा सम्पन हुई ।

सिकंदराराऊ नगर में योगिनी एकादशी उत्सव के शुभ अवसर पर श्री मनकामेश्वर मंदिर नौरंगाबाद पश्चिमी में मंदिर के सेवायत गौरांग प्रभू जी के निर्देशन में श्री बांके बिहारी लाल की चतुर्थ परिक्रमा संपन्न हुई। आज की परिक्रमा में भक्तों का बिहारी जी के प्रति आस्था और प्रेम देखते ही बनता हैं। लोग बिहारी जी की भक्ति में लीन होकर हरे राम हरे कृष्ण के जाप में भक्ति विभोर होकर मग्न हो गए। परिक्रमा मार्ग में जगह-जगह भक्तों ने पुष्प वर्षा की। तथा वही मंदिर के मुख्य पुजारी गौरांग जी महाराज के द्वारा भक्तों को कथा का श्रवण कराते हुए बताया गया कि हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत की बहुत मान्यता है और शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से इंसान के सारे कष्ट दूर होते हैं। सभी धर्मों में व्रत-उपवास करने का महत्व बहुत होता है और हर व्रत के अलग-अलग नियम कायदे भी होते हैं। खास कर हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वालों को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्रत का पूरा फल मिलता है। जैसे कि दशमी के दिन लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उंगली से कंठ साफ कर लें. वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है इसलिए स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें फिर स्नान आदि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहित जी से गीता पाठ का श्रवण करें प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि ‘आज मैं चोर, पाखंडी और दुराचारी मनुष्यों से बात नहीं करूंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा. रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूंगा तत्पश्चात ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश मंत्र का जाप करें राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णु के सहस्रनाम को कंठ का भूषण बनाएं भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें और कहे कि- हे त्रिलोकीनाथ मेरी लाज आपके हाथ है इसलिए मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना। यदि भूल वश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्री हरि की पूजा कर क्षमा मांग लेनी चाहिए।

इस दिन यथा‍शक्ति दान करना चाहिए लेकिन स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि ग्रहण न करें एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।प्रत्येक वस्तु का प्रभु को भोग लगाएं और तुलसीदल छोड़कर खुद भी ग्रहण करना चाहिए। क्रोध नहीं करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए इस व्रत को करने वाला दिव्य फल प्राप्त करता है और उसके जीवन के सारे कष्‍ट समाप्त हो जाते हैं। वही मंदिर प्रमुख राजकुमार वार्ष्णेय ने बताया कि माह की प्रत्येक एकादशी को बिहारी जी की परिक्रमा लगाई जाती है। परिक्रमा में मुख्य रूप से राजकुमार वार्ष्णेय, अमूल वार्ष्णेय, मुकुल गुप्ता सभासद,  गोविंद वार्ष्णेय, नरेश भारद्वाज, सनी भारद्वाज,अशोक उपाध्याय, रूप किशोर शर्मा, बिजेंद्र सक्सेना,शिवम वार्ष्णेय, गोविंद वार्ष्णेय, हर्षित वार्ष्णेय, ध्रुव वार्ष्णेय, मयंक वार्ष्णेय, सरद गुप्ता, विपिन लाल, मीरा माहेश्वरी, कनकलता वार्ष्णेय, नंदनी वार्ष्णेय, शिल्पी माहेश्वरी, गौरी वार्ष्णेय आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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