सिकन्दराराऊ (ब्रजांचल ब्यूरो) ।
जहाँ देश कौरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है ऐसे में कुछ लोगों द्वारा सरकार के निर्देशों का उल्लंघन कर व्यवस्था बिगाड़ने का कार्य किया जा रहा है। चोरी छिपे दुकान खोलकर सोशल डिस्टैन्स का पालन न करना कहीं किसी बड़ी परेशानी का कारण न बन जाये इन्ही बिन्दुओं के साथ समाज के कुछ खास लोगों से ब्रजांचल सम्पादक ने बार्ता की प्रस्तुत हैं यहाँ वह लाॅकडाउन के बारे में क्या सोचते हैं-
समाजसेवी बबलू सिसौदिया कहते हैं –
लाॅकडाउन में आवश्यक वस्तुओं के अलावा कोई दुकान नहीं खोलनी चाहिए। लाॅकडाउन का पालन बिल्कुल करना चाहिए। पालन न करने पर आवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए।
वीरेन्द्र सिंह चैहान का मानना है कि –
लाॅकडाऊन का पालन न करने पर निश्चित रूप से कड़ी कार्य बाही होनी चाहिए। जरूरी सामान के अलावा अन्य दुकानें कदापि न खोली जायें। जरूरी सामान की दुकानों के खुलने के समय में भी पुलिस बल बाजार में अवश्य होना चाहिये। ताकि लाॅकडाऊन के नियमों का पालन किया जा सके ।
व्यापारी युवा समाजसेवी पवन गाँधी का मानना है कि –
लाॅक डाउन हमारे लिए इस समय विश्व महामारी कोरोना वायरस के बचाव का रामबाण इलाज है। लॉकडाउन का पालन प्रत्येक देश वासी को करना चाहिए ना करने पर भारतीय दंड संहिता अनुसार उस पर कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए। जीवन उपयोगी आवश्यक वस्तुओं के अलावा अन्य भौतिक वस्तुओं की दुकानें खोलना आवश्यक नहीं है। यह जल्दबाजी होगा जिस प्रकार किसी भी रोग का निदान संपूर्ण दवा कोर्स से होता है व परहेज से होता है उसी प्रकार इस विश्वव्यापी महामारी बीमारी को मजाक में ना समझते हुए लॉक डाउन का पूर्णतया पालन करना चाहिए।
कर्मयोग सेवा संघ के अध्यक्ष विवकेशील राघव कहते हैं –
लाॅकडाउन के दौरान भोजन सम्बन्धी आवश्यकता के अतिरिक्त अन्य आवश्यक सुविधाओं जैसे विद्युत उपकरण की दुकानों, जनरल स्टोर, बुक स्टोर तथा कटिंग सैलून को एक निर्धारित अवधि के लिए नियमानुसार खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे जनजीवन भी अस्तव्यस्त नहीं होगा और साथ ही कुछ व्यापारिक लाभ भी सम्बंधित व्यापारियों को मिलेगा।
प्रशासन को 11 बजे तक भय का वातावरण नहीं बनाना चाहिए। इसके दुष्परिणाम यह हैं कि लोग शीघ्रता से खरीददारी करने के लिए दुकानों पर भीड़भाड़ करते हैं और लाॅकडाउन का उद्देश्य पूरा नहीं होता। समयावधि समाप्त होने के बाद लाॅकडाउन का अनुपालन न करने पर कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
युवा व्यापारी आकाश दीक्षित कहते हैं –
देशहित व अपने और अपनों के व्यक्तिगत हित को देखते हुए अगर जान बचाने हेतु अगर सरकारी कार्यवाही की जाए वो जायज है। अन्य दुकानें खोलने हेतु स्थिति को देख कर ही कदम उठाया जाए बीमारी फैलने से रोकने हेतु कुछ समय और लग जाए तो खोलने की जरूरत नहीं है।