महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार और अजित पवार गुटों के बीच एनसीपी पर दावा ठोंकने को लेकर दोनों के बीच खींचतान जारी है। दोनों गुटों ने मिलकर चुनाव आयोग में चुनाव चिन्ह और एनसीपी पर अपने हक को लेकर याचिका दाखिल की है। इस बीच ये भी खबर आ रही है कि शरद पवार और अजित पवार एक बार फिर से साथ आ सकते हैं।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके अनुकरणीय नेतृत्व और नागरिकों में देशभक्ति की प्रति भावना पैदा करने के उनके प्रयासों के लिए उन्हे लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा…. नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र के पुणे में 1 अगस्त को तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस कार्यक्रम में एनसीपी के चीफ शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के भी शमिल होने की संभावना है। ट्रस्ट की ओर से पीटीसी को बताया जा रहा है कि इस पुरस्कार में एक स्मृति और प्रशस्ति पत्र भी शामिल है…. तो वहीं, दो गुटों में बंट चुकी एनसीपी के शरद पवार और अजित पवार भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो ये एनसीपी में दोनों गुटों के टूटने के बाद पहला ऐसा मौका होगा जब चाचा और भतीजा दोनों ही एक मंच पर साथ नजर आएंगे….
चुनाव आयोग कैसे करेगा, पावर का फैसला?
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बताए गए थ्री टेस्ट फर्मूले से एनसीपी पर किए जा रहे दावों का निस्तारण किया जाएगा… साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि चुनाव आयोग इन्ही मानदंडों का आधार पर अपना फैसला सुनाएगा।
मौलिक मानदंड क्या है?
पार्टी के लक्ष्यों और उदेश्यों की जांच, पार्टी की संविधान की जांच और बहुमत की जांच इन तीन मानदंडों पर दोनों गुटों को खरा उतरना होगा… जो इन मानदंडों को पूरा करेगा, एनसीपी पर उसी का कब्जा होगा। इस बारे में सुनील अरोरा ने बताते हैं कि, पहले मानदंड के मुताबिक चुनाव आयोग ये देखता है कि कोई गुट पार्टी अपने लक्ष्यों और उदेश्यों से भटक तो नहीं रहा…. जो दो गुटों के बीच मतभेद का मूल कारण है। दूसरे मानदंड में चुनाव आयोग ये तय करता है कि क्या पार्टी उसके संविधान के अनुसार चलाई जा रही है…. और तीसरे में ये देखता है कि गुटों के बीच विधायिका और पार्टी संगठनात्मक ढ़ांचे में किसकी पकड़ मजबूत है।