समाधि स्थल के जिर्णोद्वार का शुभारंभ णमोकार मंत्र के साथ महा साध्वी महक जी महाराज के निर्देशन में सम्पन्न
हाथरस (जिनेन्द्र जैन)।
गुरु गौडीदास जी महाराज की समाधि अब देवलोक स्थान हो गई है जो व्यक्ति यहां आकर अपनी जो भी मनोकामना है वह पूरी कर सकता है आप श्रद्धा के साथ यहां माला लेकर जाप करें जब करें निश्चित रूप से आपकी मनोकामना पूरी होगी महासाध्वी युवा तपस्वी महक जी महाराज जी गुरु गोड़ी दास जी महाराज की समाधि पर आयोजित 108 णमोकार मंत्र के जाप के उपरांत यहाँ मौजूद सैकड़ो महिला पुरुषों को संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि उन्हें यह देखकर काफी प्रसन्नता हुई है कि यहां दिगम्बर व स्वेतमवर जैन समाज एक जुट है, पूरे भारतवर्ष में इसी तरह हम एकजुट हो जाएं तो बड़ी से बड़ी मुश्किलों को आसानी से सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा हमारा समाज भी विभिन्न पंथो में बटा हुआ है, दूसरे समाज के लोग नही जानते कि किस पंथ के है आपके नाम के पीछे जैन लगा है इस लिए आप सिर्फ जैन हैं। उन्होंने कहा कि भगवान ऋषभदेव भगवान का कल कल्याण अन्य समाज के लोग भी मानते है कोई शिव के रूप में पूजता है तो कोई अन्य भगवान के रूप में मानता है यह शासन भगवान महावीर का चल रहा है यह पंचम काल है। आचार्य देव की परंपरा की शुरुआत राजस्थान से हुई थी धीरे-धीरे यह शाखायें पूरे भारतवर्ष में फैल गई 15 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेने वाली भआचार्य भगवंत भागचंद जी महाराज केई सो वर्ष पूर्व जब बागपत के कांदला में आये थे काफी सर्दी पड़ रही थी वह एक दुकान पर खड़े हो गए और उन्होंनेदुकान पर बैठे लाल जी से रात्रि में ठहरने के लिए स्थान मांगा था उनका नाम सेठ लक्ष्मी चंद्र लाल जी था वह उस समय घर चले गए और कहां कि आप यही खड़े रहना वह लौटकर आते हैं लेकिन लाल जी भूल गये घर से नहीं आए जब वह दूसरे दिन प्रातः घर से आए और महाराज जी को वहां खड़े देखा तो उन्होंने पूछा कि आप यही खड़े है तब भागचंद जी महाराज ने कहा कि आप बोलकर गए थे कि यही खड़े रहना इसलिए वह आपका इंतजार कर रहा हूं यह सुनकर लाला जी जैन साधु से प्रभावित हुए वह अग्रवाल थे। उन्होंने वहां स्थानक बनाने के लिए स्थान के रूप अपना महल दे दिया। भागचंद जी महाराज वहां दो माह रुके थे अग्रवाल समाज के वहां 500 परिवार थे जिनमें से 400 परिवार ने जैन धर्म अपना लिया था, वह मनोहर गक्ष परंपरा के थे। साध्वी महक जी महराज ने यहां समाधि लेने वाले गुरु गौडी दास महाराज का पूरा इतिहास निकाल लिया। उन्होंने पंजाब दिल्ली राजस्थान से फोन किया तो पता चला कि गुरु गोडी दास जी महाराज अपने समय के महान संत थे वह वर्ष 1951 मे हाथरस में आए थे। उन्होंने यहां चातुर्मास किया और चातुर्मास के बाद वह हाथरस से जाने के लिए पैदल बिहार कर गए थे लेकिन वह तीन और चार किलोमीटर ही निकले थे तभी उन्हें एहसास हुआ कि उनका देव लोक जाने का समय आ गया है और वह वापस हाथरास डिब्बा वाली गली स्थित स्थानकवासी लोहिया धर्मशाला मंदिर में आ गये। उन्होंने यहाँ सल्लेखना की और एक दिन की संलेखना में ही उनकी समाधि हो गई थी। उनकी अस्थियों की राख एक कलश के अंदर यहां समाधि के अंदर रखी हुई है।
उन्होंने इस समाधि के जिणद्वार कार्यक्रम का शुभारंभ णमोकार मंत्र के साथ कराया महा साध्वी महक जी महाराज के निर्देशन में समाधि स्थल के ऊपर छत पर पचरंगा झंडा,गुरु गुरु गोडी दास महाराज जी के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्जलित पूजन जीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर मयंक जैन, श्री जैन नवयुवक सभा अध्यक्ष उमाशंकर जैन, हलवाई खाना स्थित श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रबंधक राकेश जैन, स्थानकवासी लोहिया धर्मशाला अध्यक्ष मनोज जैन, उपाध्यक्ष विजय जैन लोहिया द्वारा संयुक्त रूप से किया महक जी महाराज ने प्रत्येक महा यहां आकर एक जाप करने, प्रतिदिन यहां आकर माला करने की प्रेणना दी। उन्होंने कहा कि गुरु जी की पुण्यतिथि की मौके पर प्रत्येक वर्ष यहां एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए। जिससे समाज के लोगों को यह पता चले कि यहां किसी गुरु की समाधि है साध्वी महक जी महाराज ने कहा कि गुरु गोडी दास जी महाराज को 12 वर्ष की उम्र में वैराग्य हो गया था और उन्होंने दीक्षा ले ली थी उनका जन्म 1879 यानी 143 साल पहले हुआ था उन्होंने कम जनसंख्या पर कहा कि देखा जा रहा है कि एक बच्चा पैदा कर रहे उनका मानना है। पालन पोषण में काफी धन खर्च हो जाता है उन्होंने बताया कि यह आप लोगों की भूल है जो जीव ऊपर से आता है उसका दाना पानी पहले से ही फिक्स होता है वह अपना जीव लेकर आता है उन्होंने कहा कि कम से कम प्रत्येक व्यक्ति के तीन बच्चे होने चाहिए। हाथरस के अंदर गुरू जी की समाधि स्थल देवलोक हो गया है कोई भी शुभ कार्य से इनको अवश्य पूजना है। हाथरस महासाध्वी महक जी महाराज जी के साथ युवा तपस्वनी सम्यक जी महाराज एवं संघ की अन्य साध्वी साथ थी कवि प्रदीप पंडित द्वारा भगवान महावीर स्वामी और अन्य संतों पर कविता पाठ कर सभी का मनमोहन लिया था बाद में जैन समाज के सभी लोगों ने सड़क पर निकल रहे कांवड़ियों की सेवा करने के साथ-साथ सभी को खाने पीने का सामन भी उपलब्ध कराया । इस मौके पर श्री जैन नवयुवक सभा अध्यक्ष उमाशंकर जैन, स्थानक वासी लोहिया धर्मशाला मंदिर अध्यक्ष मनोज जैन, उपाध्यक्ष विजय जैन लोहिया, अरुण जैन, अनिल कुमार जैन, मयंक जैन लोहिया, मनोज जैन लोहिया, सोनू जैन लोहिया, संजीव जैन लोहिया, सचिन जैन लोहिया, अतुल कुमार जैन एडवोकेट, सुरेश चंद्र जैन, हजारीमल जैन बाठिया, प्रकाश चंद जैन बांठिया, सिद्धार्थ जैन बांठिया, कांति चंद्र जैन बांठिया, बनवारी लाल जैन सुरेंद्र बांठिया, विनय ओसवाल, हलवाई खाना स्थित श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रबंधक राकेश जैन, श्री जैन नवयुवक सभा महामंत्री संजीव जैन भूरा, कोषाध्यक्ष कमलेश जैन लाल वाले, मंत्री सुधीर जैन ज्वेलर्स, गगन जैन, श्वेतांक जैन, अमित जैन, विजय जैन लुहाड़िया, पंकज जैन, जितेंद्र जैन, संजीव जैन लोहिया, अजय कुमार जैन, रवि जैन, श्री चंद्रप्रभू भगवान दिगम्बर जैन मंदिर नयाबास अध्यक्ष मुकेश जैन, मंत्री पंकज जैन, जय कुमार जैन, अतुल जैन एडवोकेट, कैलाश चंद जैन सूत वाले, अतुल जैन सूत वाले, पारस जैन सूत वाले, संजीव जैन सूत वाले, हर्ष जैन, संजीव जैन के अलावा शशि जैन, शालिनी जैन, उषा जैन, सुनीता जैन, जया जैन, रीता जैन, मंजू जैन लोहिया, रेनू जैन, सुमित्रा देवी जैन, डॉली जैन, सोनिया जैन, पूनम जैन, संतोष जैन, विजयलक्ष्मी जैन, पूजा जैन, प्रीति जैन, मीनाक्षी जैन आदि मौजूद थी।