खैर(अमित शर्मा)। जिन उम्मीदवारों ने आज तक सभासद से लेकर अपने गांव के प्रधानी व प्रधान सदस्य का चुनाव तक न जीत सके हो वह खैर विधानसभा के उपचुनाव के दौरान भाजपा से टिकट मांगने में लगे हैं। उपचुनाव में अब भाजपा से टिकट मांगने वाले उम्मीदवार दिन में ही बिधायक बनने का हसीन सपना देख रहे हैं। टिकट मांगने वालों की सूची सबसे लंबी है। टिकट मांगने वाले तो यह समझ रहे है कि भाजपा से टिकट मांगना बहुत आसान है और उन्हे टिकट मिलते ही सहज ही वह विधायक बन जायेगे। अधिकांश उम्मीदवार टिकट तो मांग रहे है। लेकिन टिकट मांगने के साथ-साथ क्षेत्र में कहीं भी जन सर्पक नही कर रहे है। सूत्रों की माने तो पार्टी के नेताओं से जो उम्मीदवार सिंबल मांग रहे हैं उन्हें दिशा निर्देश दिए हैं कि वह विधानसभा के गांवो में घूम-घूम कर पार्टी की जनकल्याणकारी नीतियों को लोगों को बताएं। लेकिन जमीनी हकीकत यह है की टिकट मांगने वाले उम्मीदवार बड़े-बड़े नेताओं को अपने जितने का तरह-तरह का फार्मूला बताकर उन्हें भी दिन में हसीन सपने दिखा रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि भाजपा से टिकट मांगने वाले अधिकांश उम्मीदवारों ने आज तक सभासद व अपने ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान व ग्राम प्रधान सदस्य का भी चुनाव नहीं जीत पाये है। उपचुनाव में भाजपा का सिंबल पाकर रातों-रात विधायक बनने का सपना देख रहे अधिकांश प्रत्याशी झूठे ढोल बजा रहे हैं।
बात करें खैर विधानसभा के उपचुनाव की तो सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि भाजपा से टिकट मांगने वाले लगभग सौ से अधिक उम्मीदवार हैं। जिसमें अधिकांश उम्मीदवार विधानसभा क्षेत्र के निवासी नही है। कुछ एक उम्मीदवार विधानसभा के निवासी हैं और टिकट मांगने वाले उम्मीदवार पार्टी के नेताओं को अपना बायोडाटा देने के बाद उन्हें झूठे वादे बोलकर कि हम विधानसभा में गांव-गांव मे जनसंपर्क करने में लगे हुई है। अधिकांश प्रत्याशियों का हाल तो यह है कि कई लोगों पर दिल्ली नंबर एक्सपायर डेट की छोटी-छोटी गाड़ियां हैं। जिनमें उनके साथ एकमात्र ड्राइवर व एकमात्र उनका सहायक व एक मात्र स्वयं उम्मीदवार तीन लोगों की टीम दिख जाती है। अगर उनसे जनता यहां तक पूछ ले कि आप खैर विधानसभा में किस गांव के वोटर हैं आप किस गांव में निवास करते हैं तो उनके पास कोई भी ठोस जवाब नहीं है। ऐसे उम्मीदवार तो विधायक बनने का सपना पाले हुए हैं। विधानसभा के वोटरों को गुमराह करने के लिए ज्यादातर उम्मीदवारों ने पूरे विधानसभा में अपने चुनावी बैनर पोस्टर लगा रखे है। विधानसभा के लोगों को तो तभी पता चलता है कि जिस उम्मीदवार का बैनर पोस्टर रोड के किनारे लगा हुआ दिखता है कि यह महानभाव भी हमारे विधानसभा से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। अभी हाल ही में खैर कस्वे में हुई प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की जनसभा में कई उम्मीदवार अपने साथ दस-दस व्यक्तियो को भी नहीं ले जा पाए। हां कुछ उम्मीदवारो के नाम प्रकाश में जरूर आए जो कि अपने साथ सो-सो गाड़ियों का काफिला लेकर गए। लेकिन ऐसे उम्मीदवारों की संख्या ना के बराबर है। उपचुनाव में भाजपा से टिकट प्राप्त कर दिन में ही विधायक बनने का सपना देख रहे डमी उम्मीदवारों का सपना चूर-चूर हो सकता है। क्योंकि पार्टी एक ही उम्मीदवार को अपना सिंबल देगी। जबकि टिकट मांगने वालों की संख्या अधिक मात्रा में है। यह तो वही कहावत सच हो गई एक अनार सौ बीमार। उम्मीदवार पार्टी नेताओं को लुभाने के लिए तरह-तरह योजना बना रहे हैं। एक उम्मीदवार महोदय ने तो विधानसभा क्षेत्र में 25 हजार लोगों के भंडारे की खबर अखबार में छपवा दी। जबकि वास्तविक स्थिति यहां थी कि उस भंडारे में केवल मात्र तीन से चार सौ लोगों ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया था। अगले दिन अखबार में 25 हजार लोगों ने भंडारा खिलाने की खबर छापकर आई। क्या ऐसे लोग विधायक बनने की लायक है जो झूठी बातें व झूठी खबरों के सहारे पार्टी नेताओं को गुमराह कर टिकट पाना चाहते हैं।
पार्टी के बड़े नेताओं की उम्मीदवार कर रहे हैं परिक्रमा
खैर विधानसभा के उपचुनाव में टिकट पाने के लिए एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार जनपद स्तर के बड़े नेता व जन प्रतिनिधियों की उम्मीदवार परिक्रमा कर रहे हैं। एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों का मानना है कि नेताओं की परिक्रमा करने से ही टिकट प्राप्त हो सकती है।
छवि खराब उम्मीदवार भी मांग रहे है टिकट
कई उम्मीदबार तो ऐसे हैं जिनकी छवि समाज में बहुत खराब है। जिनमें कई जन प्रतिनिधि भी शामिल है जो की खैर विधानसभा के उपचुनाव में टिकट मांग रहे हैं। कई बार ब्राह्मणों, जाटो, ठाकुरो पर मुकदमे बाजी व चौथ वसूली जैसे ब अन्य कई प्रकार के आरोप लग चुके हैं। ऐसे लोग भी विधायक बनने का सपना पाले हुए हैं।