अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वो इस निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई है कि अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में जोड़-तोड़ पर निगरानी रखने में शेयर बाजार के रेग्यूलेटर सेबी अपनी भूमिका को निभाने में असफल रहा है। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा ये जरुरी कि सभी जांच तय समय सीमा के भीतर पूरी कर लिया जाए।
रिटेल निवेशकों ने बढ़ाया निवेश
कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जो आंकड़े सामने आए हैं उसके मुताबिक 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद से अडानी समूह की कंपनियों में रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी है। और इस पूरे घटनाक्रम के दौरान केवल अडानी समूह के शेयरों में उठापटक देखी गई है वैसे भारतीय शेयर बाजार में अडानी समूह के स्टॉक्स में उठापटक का असर नहीं देखा गया है।
सेबी ने की 13 संदिग्ध ट्रांजैक्शन की पहचान
कमिटी के मुताबिक सेबी 13 ऐसे संदिग्ध ट्रांजैक्शन की पहचान की है और इसकी जांच में ये पता लगाने की कोशिश कर रहा है इस ट्रांजैक्शन में किसी प्रकार की धोखाधड़ी तो नहीं की गई है। कमिटी ने कहा कि सेबी इस बारे में जानकारियां जुटा रहा है और तय समय सीमा के भीतर जांच को पूरा कर लिया जाना चाहिए।
सभी पक्षों से साझा किया गया रिपोर्ट
2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट की जांच करने और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी ( SEBI) के मौजूदा रेग्युलेटरी मैकेनिज्म की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए एम सापरे (AM Sapre) के नेतृत्व में कमिटी का गठन किया गया था। इस कमिटी में आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व सीईओ रहे के वी कामथ, इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि, एसबीआई के पूर्व चेयरमैन ओ पी भट्ट, जस्टिस जे पी देवधर और सोमशेखर संदरेशन शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस कमिटी से दो महीने में अपनी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा था. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी द्वारा जमा किए गए रिपोर्ट को सभी पक्षों और उनके वकीलों को देने को कहा था।