मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा ने रिकार्ड जीत हासिल की। इस जीत के साथ ही चाचा शिवपाल यादव और अखिलेश के बीच संबंध मधुर हो गए। इसके बाद अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अब सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं। सपा अध्यक्ष अब उत्तरप्रदेश की राजनीति का नया तरीके से अध्ययन कर रहे हैं और यूपी में सपा को शिखर पर पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं।
इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, औरैया, फर्रुखाबाद और कन्नौज में शुरू से ही समाजवादी पार्टी का वर्चस्व रहा है, जिसे यादवलैंड कहा जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय में भारतीय जनता पार्टी सेंध लगा रही हैं जिससे सपा को नुकसान हो रहा है। इसी को लेकर सपा अब यादवों का दिल जीतने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि यूपी के कई जिलों में जीत-हार का फैसला यादव समुदाय करता आया है। इसी को लेकर भाजपा का मुख्य फोकस यादवों पर रहता है। पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी से नाराज कई कद्दावर नेताओं को पार्टी ने अपने साथ जोड़ा था। इसके बाद सपा को नुकसान हुआ और बीजेपी को विधानसभा चुनाव में कुछ हद तक कामयाबी मिली।
मैनपुरी उपचुनाव के वक्त भी अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को अपने साथ लिया और घर-घऱ चुनाव प्रचार किया। इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, औरैया, फर्रुखाबाद और कन्नौज में यादव मतदाताओं का बोलबाला है, जो लंबे समय से सपा का समर्थन करता आया है। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में करीब साढ़े चार लाख यादव मतदाता हैं, जबकि फिरोजाबाद में यादव मतदाताओं की संख्या करीब 4 लाख, कन्नौज में 2.2 लाख, इटावा में 2 लाख और फर्रुखाबाद में करीब 1.8 लाख है।
ऐसे में यादव बहुल इलाके होने के कारण सपा इन इलाकों पर फोकस कर रही है। ताकि आने वाले दिनों में पार्टी यादवों के बीच मजबूत रहे।