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सर्पदंश की घटनाओं से आम-जनमानस के बचाव हेतु जिलाधिकारी आशीष कुमार ने एडवाइजरी जारी की

हाथरस 06 सितम्बर, 2024 (सूचना विभाग)। वर्तमान समय में वर्षा ऋतु के कारण जनपद क्षेत्रान्तर्गत में सर्पदंश की घटनायें घटित हो रही है। उक्त के दृष्टिगत सर्पदंश की घटनाओं से आम-जनमानस के बचाव हेतु जिलाधिकारी आशीष कुमार ने निम्न एडवाइजरी जारी की है।

सर्पदंश के लक्षण- तंत्रिका तन्त्र जैसे मस्तिष्क पर असर होना, सर्पदंश वाले स्थान पर तेज दर्द होना, उल्टी महसूस होना, पसीना होना, ऑखों में धुंधलापन आना, बेहोसी आना, नींद का आना, निगलने/बोलने में कठिनाई होना, पलकों का भारी होना, सांस लेने में तकलीफ होना, डंक लगने के कारण मसूडों में रक्त आना, स्वेलिंग होना सा सर्पदंश के स्थान पर लाल-लाल धब्बे होना, जी मिचलाना, पेट में अत्यधिक दर्द, काटे गये स्थान पर जलन एवं दर्द, आन्तरिक कोषिकाओं एवं वाह्य कोषिकाओं में रक्तस्राव, अत्यधिक सूजन, काटे गये स्थान पर तेजी से जलन आदि लक्षण हो सकते है ।
बनावट (जहरीले सॉप)- सिर-त्रिकोण, सिर पर सल्क, फैला हुआ/फैंग (विषदंत), पुतलियॉ (इलिप्टिकल पुतली), सॉप के आंख एवं नथुनों के बीच पिट या छेद।
क्या करें- प्राथमिक उपचार हेतु काटे गये जगह को साबून व पानी से अच्छे से घोए, सर्पदंश वाले अंग को स्थिर (फिक्स) रखें। घाव/काटे गये स्थान पर बैंडेज (bandage) लगाये। सर्वप्रथम रोगी/पीड़ित व्यक्ति को तुरन्त नजदीकी अस्पताल ले जाए और पीड़ित व्यक्ति को आश्वस्त करें कि लगभग 70 से 80 प्रतिशत सांप के काटने के मामले गैर विषैले होते हैं, घायल व्यक्ति को सांत्वना दे क्यों कि घबराहट से हृदय गति/ब्लड संचार तेज हो जाता है जिससे जहर सारे शरीर में जल्द फैल जायेगा। प्रभावित हिस्से के आस-पास यदि अंगूठियां, घड़ी, आभूषण, जूते व तंग कपड़े हों तो उन्हें हटा दें, ताकि प्रभावित हिस्से में रक्त की आपूर्ति न रुके। सर्पदंश से प्रभावित अंग को स्थिर करके रखें अर्थात उसको हिलाना-डुलाना नहीं है। पीड़ित को जितनी जल्दी हो सके निकटतम स्वास्थ्य केंद्र ले जाएँ। पीडित व्यक्ति का सिर ऊंचा करके लिटाएं या बैठाएं। घाव को तुरंत साबुन व गर्म पानी से साफ करें। सांप के रंग और आकार को देखने और याद रखने की कोशिश करें। जिससे सांप के विषैलेपन का पता चल जाता है, स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता के लिए अपने स्थानीय सी०एच०सी०/पी०एच०सी० केंद्र से संपर्क करें। सांप काटने का समय नोट करें ताकि जरूरत पड़ने पर आपातकालीन कक्ष स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को इसकी सूचना दी जा सके। पीडित व्यक्ति को शांत और स्थिर रहने के लिए कहें। काटे हुये अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखे। यदि जहरीले सर्प ने ही काटा है तो। ANTi VANOM SNAKE-AVS का इजेक्शन डाक्टर से अवश्य लगवाएं।
संपर्क दूरभाष नंम्बर- घर में सांप होने की स्थिति में प्रभागीय वनाधिकारी के मो0 नं0 7579017770 पर एवं सर्पदंश होने/काटने की स्थिति में जिला आपदा विशेषज्ञ के मो0 नं0 9520782782 और आपदा लिपिक के मो0 नं0 9456445032 पर सम्पर्क अवश्य करें।
क्या न करें- घाव को काटकर जहर निकालने का प्रयास न करें, सर्प से प्रभावित व्यक्ति के कटे स्थान पर टुर्निकेट/डोरी/रस्सी कसकर न बाधें। इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती है। जहर चूसने के लिए अपने मुँह का प्रयोग न करें। सांप के काटने पर बर्फ न लगाएं क्योंकि बर्फ रक्त संचार को अवरुद्ध कर सकती है, सांप काटने पर झाड-फूॅक करने वाले से इलाज बिल्कुुल न कराऐं। सर्पदंश वाले अंग को ना मोंडे, पानी में तैरते समय सांपों से सावधान रहें। सांप को अपने आस-पास देखने पर धीरे-धीरे उससे पीछे हटें। सांप को पकड़ने या मारने की कोशिश ना करें। सतर्क रहे, मलबे या अन्य वस्तुओं के नीचे सांप हो सकते हैं। बर्फ अथवा अन्य गर्म पदार्थ का इस्तेमाल काटे गये स्थान पर न करें। लंबी घास वाली जगह से दूर रहें।
काटने के कारण- आहार (भोजन) के लिये, भय और आत्मरक्षा के लिये, करैत सर्प के द्वारा बिस्तर पर भी काटने की घटना होती है।
सॉप को दूर रखने के तरीके- सॉप के बिल में कार्बोलिक एसिड डाल दें, उसके गंध से सॉप दूर हो जाते है। मुर्गी के चूजे और चूहे को घरों से दूर रखें।