रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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राहुल को सजा सुनाने वाले जज का क्या हुआ

मानहानि मामले में राहुल को सुनाई गई थी सजा

राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।
राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया। कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।
सूरत की निचली अदालत ने चार साल बाद 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. राहुल ने इस फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट का रुख हालांकि, सेशन कोर्ट से भी राहुल को राहत नहीं मिली है। अब यह मामला गुजरात हाईकोर्ट में है।

हरीश वर्मा का प्रमोशन

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा सुनाने वाले सूरत कोर्ट के जज हरीश वर्मा के प्रमोशन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल, हाल ही में सूरत कोर्ट के जज हरीश वर्मा को राजकोट के अतिरिक्त जिला जज के तौर पर प्रमोशन किया गया था. इसके अलावा गुजरात सरकार के कानून विभाग की तरफ 68 जजों का तबादला और पदोन्नति की गई थी।
अब जज हरीश वर्मा समेत सभी 68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच इसपर 8 मई को सुनवाई करेगी।
दरअसल 65% कोटा नियम के आधार पर इन 68 जजों को पदोन्नति दी गई है, जिसे सिनियर सिविल जज कैडर के दो न्यायिक अधिकारियों रविकुमार महता, सचिन प्रतापराय मेहता ने चुनौती दी है. इस याचिका में 10 मार्च को गुजरात हाई कोर्ट द्वारा जारी की गई सूची और राज्य सरकार द्वारा उनकी नियुक्ति की अधिसूचना को रद्द करने निर्देश देने की मांग की है.इसके अलावा याचिका में गुजरात हाईकोर्ट को नियुक्ति के लिए योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर नई सूची जारी करने का निर्देश देने की मांग भी गई है।

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