रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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क्या नीतीश कुमार होंगे इंडिया के संयोजक?

विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की अगली बैठक में नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने की  घोषणा की जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने की बात फाइनल हो गई है, जिसका ऐलान मुंबई में होगा। इसके साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कहा है कि 11 सदस्यों की एक को-ऑर्डिनेशन टीम बनाई जाएगी। जिसका एक संयोजक होगा।

गठबंधन के नाम को लेकर नीतीश ने क्यों आपत्ति जताई थी?

आपको बता दें कि 17 और 18 जुलाई को विपक्षी दलों की बेंगलुरु में दूसरी बैठक हुई थी, जिसमें 26 पार्टियां शामिल हुई थी। इससे पहले पटना में हुई पहली बैठक में 15 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया था। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार को इंडिया शब्द पर नहीं बल्कि इंडिया के D फॉर डेमोक्रेटिक शब्द पर आपत्ति थी। विपक्षी दलों की बैठक में उन्होंने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था, कि डेमोक्रेटिक शब्द NDA में आता है। इसलिए डेमोक्रेटिक की जगह डेवलपमेंट शब्द रखा जाना चाहिए। बैठक में करीब आधे घंटे तक इस टाॅपीक पर बहस हुई, लेकिन आखिर में नीतीश कुमार के सुझाव को मान लिया गया।

कांग्रेस ने कहा हमे सत्ता और पीएम पद में कोई रूची नहीं है

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले रणनीति पर चर्चा करने के लिए 26 विपक्षी दल बेंगलुरु में एकजुट हुए थे। इसी दौरान गठबंधन के लिए इंडिया नाम का ऐलान किया गया था, इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस की सत्ता या प्रधानमंत्री पद में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके साथ उन्होंने कहा कि, इस बैठक में हमारी मंशा अपने लिए सत्ता हासिल करने की नहीं है। बल्कि हमारा इरादा हमारे संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरेपक्षता और सामाजिक न्याय की रक्षा करना है।

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि विपक्षी दलों के बीच राज्य स्तर पर मतभेद हैं, लेकिन उन्होंने साथ में ये भी कहा कि ये मतभेद विचारधारा से संबंधित नहीं हैं। ये मतभेद उतने बड़े नहीं है कि हम उन्हें महंगाई की मार झेल रहे मध्यम वर्ग और आम आदमी के खातिर, बेरोजगारी से जूझ रहे हमारे युवाओं के खातिर, गरीबों के खातिर और पर्दे के पीछे चुपचाप कुचले जा रहे दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के खातिर उन्हे  पीछे नहीं छोड़ सकते। 

खरगे ने कहा कि बीजेपी ने 2019 में 303 सीटें अकेले के दम पर नहीं जीती थीं, बल्कि उसने अपने सहयोगियों का भी इस्तेमाल किया था। और फिर सत्ता में आने के बाद उन्हें छोड़ दिया। इसके साथ उन्होंने कहा कि आज, भाजपा अध्यक्ष और पार्टी नेता अपने पुराने सहयोगियों से समझौता करने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में दौड़ लगा रहे हैं।

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