CBI का नाम आप ने किसी राजनीतिक पार्टियों के नेता पर जांच के समय सुना होगा लेकिन आज हम आप को बताएगे इसकी पूरी कहानी…..
CBI का गठन 1963 में स्पेशल पुलिस के रुप में हुआ था। लेकिन उसके पहले 1941 विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के रुप में हुआ था उस समय द्वितीय विश्व युध्द के दौरान विभाग लेन-देन घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना था युध्द समाप्त के इसका काम सरकारी कार्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार की जांच करने लगा।
1946 में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम लागू किया और इसे देश के गृह विभाग को हंस्तारित कर दिया गया और इसके काम काज को विस्तार देने के लिए भारत सरकार के सभी विभागों भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए बाद में इसका नाम मिला केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के रुप में हुआ।
CBI के पहले महानिदेशक
CBI में एक महानिदेशक, पुलिस निदेशक है साथ ही हर राज्य में इसके कार्यकाल होता है। वर्तमान में CBI के साथ शाखाए और इसके पहले अध्यक्ष डीपी कोहली थे। 1 अप्रैल 1963 से 31 मई 1968 तक आरम्भ में केन्द्र सरकार द्वारा सूचित अपराध केवल केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार से ही सम्बन्धित था। धीरे-धीरे, बड़ी संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना के साथ ही इन उपक्रमों के कर्मचारियों को भी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के क्षेत्र के अधीन लाया गया। इसी प्रकार, सन्1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और उनके कर्मचारी भी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के क्षेत्र के अधीन आ गए।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 का संशोधन
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 का कहना है कि, कोई भी अदालत के संज्ञान लेने के लिए जब तक यह सक्षम प्रा धिकारी द्वारा मंजूर की है सेवा से आरोपी लगाया दूर करेगा।सीबीआई भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है। यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है। यह कार्मिक एवम् प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है।
सीबीआई का विवादो इसलिए रहते है कि लोग कहते है कि यह निष्पक्ष न करने की पाक्षपातपूर्ण काम करने का आरोप लगता है। केन्द्र सरकार के एजेंट के रुप काम करती है।